अबला के हाथ कटार



लघु कहानी _ अबला के हाथ कटार।

शिला के चार बच्चे थे ।मगर अभी बहुत छोटे थे।घर में सास ससुर थे ।पति का एक एक्सीडेंट में मृत्य हो गई थी।अब चार बच्चो के साथ सास ससुर की भी देखभाल और गुजारा उसके सिर आ पड़ा था।उतनी पड़ी लिखी तो नही थी की कही नौकरी मिल जाए।इसलिए पति की मृत्यु के बाद वो सबको लेकर शहर से अपने गांव आ गई।बच्चो को गांव के सरकारी स्कूल में नाम लिखवा दिया।खुद अपनी खाली जमीन पर खेती करने लगी।साथ में खाली समय में दूसरो के खेतो में भी मजदूरी कर के कुछ पैसे कमा लेती थी।लेकिन इसके कुछ रिश्तेदार उसका शहर से आना बहुत खटक रहा था।क्योंकि उनकी निगाह उसके खेत और मकान पर थी। वे उसकी संपत्ति को हथियाना चाहते थे।
एक विधवा औरत पर तरस खाकर उसकी मदद करने के बजाय सब लोग उसे सताने लगे।उसके खेतो में खड़ी फसलों और साग सब्जियों को उखाड़ देते थे या उसमे जानवर छोड़ देते थे।शिला का बहुत नुकसान होने लगा।
उसके सिर पर बूढ़े सास ससुर की बहुत बड़ी जिम्मेवारी थी ।बच्चे तो थे ही।उसके रिस्तेदारो ने उससे कहा खेती बारी तुम्हारे बस की बात नही है।तुम फिर से शहर लौट जाओ और कोई काम धंधा करके अपना और अपने परिवार का गुजारा करो।
लेकिन शीला अब दुबारा शहर जाने को तैयार नहीं थी।इसके गांव के कुछ लोगो से कर्जा लेकर फिर फसल और सब्जियां लगा दी।उसकी मेहनत रंग लाई खेत में फसल और सब्जियां लहलहाने लगी ।वो बहुत खुश हुई की खाने भर रख कर बाकी बेच कर कर्जा चुका देगी।उसने कुछ बचे पैसों से कुछ बकरिया और मुर्गियां भी खरीद लिया की जरूरत पड़ने पर इन्हे बेचकर अपना काम चला लेगी।
फिर कुछ पैसा बचाकर एक गाय ले लेगी ताकि बच्चो के लिए दूध भी मिल जायेगा और बचा दूध बेचकर गाय का खर्चा भी निकाल लेगी।लेकिन धूर्त बाज और और मक्कार रिश्तेदार अपनी हरकतों से बाज नही आएf।उसकी सारी फसल तैयार होते ही रात में काट ले गए और बकरिया और मुर्गियों को चुराकर खा गए।
शीला यह सब देखकर अपना सिर पकड़कर रोने लगी। हे भगवान अब मैं क्या करूं।मैं तो बरबाद हो गई। अब मेरे घर का गुजारा कैसे होगा। कर्जा कैसे भरूंगी।
उसे रोता देख उसकी सास ने कहा बहु रोना बंद कर ।अगर आज मेरा बेटा जिंदा रहता तो इनकी मजाल नही थी की ये हमारे घर की तरफ गलती से भी टेढ़ी नजर डाल सके।
तुम एक काम कर ले मेरे गहने इनको बेचकर फिर से खेती कर और बकरिया में मुर्गियां खरीद ले और ध्यान रख इस बार किसी ने भी इनको नुकसान पहुंचाने आए तो मेरे बेटे को कटार मेरे बक्से में रखी है ।माथे पर उसका लाल गमछा बांध ले और लाल तिलक लगाकर चंडी बन जा और जो भी सामने आएं तू उसका खेल खत्म कर।तेरी इस गांव में कोई मदद नहीं करेगा। मरना तो वैसे भी भूखे रहकर ।
एक दिन रात में दोनो सास पतोह खेत पर रखवाली कर रही थी।तभी चार लोग चुपके से आए और उसकी फसलfg काटने लगे ।शीला ने अपनी कटार उठाई और ललकार कहा _ आज कोई नही बचेगा चोरों ।उसकी ललकार और हाथ में तलवार देख कर चारो भागने लगे लेकिन शीला ने दौड़ाकर उनके पैरों को घायल कर दिया।चाहती तो उनको जान से भी मार सकती थी ।चारो जमीन पर गिर पड़े उसने चारो को रस्सी से बांध कर खेत में डाल दिया और लाठियों से जमकर पिटाई शुरू कर दिया। वे चारो दर्द से चीखने चिल्लाने लगे।तभी गांव वाले हो हल्ला सुनकर जाग गए और भागते हुए वहा पहुंचे।
शीला ने कहा देख लो गांव वालो यही लोग है जो बार बार मेरी फसले चुरा लेते थे ।यही लोग मेरी बकरिया और मुर्गियों को भी चुराका खा लिया था। अब आप लोग आज ही रात में फैसला करे इनको क्या सजा देंगे वरना मैं सबको मार कर खुद भी अपने परिवार सहित मर जाऊंगी।
रात में ही पंचायत बैठ गई और फैसला सुनाया अब तक शीला का जितना नुकसान हुआ है उसको पूरी भरपाई ये चारो करेंगे और सालभर तक ये लोग शीला के खेतो में फ्री की मजदूरी करेंगे।
एक साल में शीला के दिन बदल गए।अब कभी किसी ने उसे परेशान नहीं किया।

लेखक _श्याम कुंवर भारती
बोकारो ,झारखंड



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1 Comments

Mohammed urooj khan

11-Nov-2023 11:27 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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